मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे चरणन में कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥ ॥दोहा॥ पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप । जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई । योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥ भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »इस https://hindubhajan.in/diwali2024/